Friday, December 3, 2010

ज़िन्दगी में मैं आगे बड़ा अब


Well this is a very short poem of mine but carries the longest message ....

पल पल, पथ पर , पैरो तले ,फूल बिछाये गए तब ;
पहले पहले अपने कदम चला मैं जब ;
किनारों के सहारे ,चला करता था मैं तब ;
किनारों ने साथ छोड़ा तो लगा ,
ज़िन्दगी में मैं आगे बड़ा अब;

खुली हवा ज़िन्दगी की लगने लगी जब;
पथ बदला ,कंकर बिछे नज़र आने लगे तब;
नासमझ था मैं जब चलदिया उस पथ पर तब;
दर्द का एहसास रहा थोड़ी दूर तक ,
मज़ा आने लगा तब;
फिर लगा ज़िन्दगी में मैं आगे बड़ा तब. 

I am sorry for the mistakes in Hindi..this is my first time typing phonetically....
Thanks...

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