Thursday, March 3, 2011

Kavita


कविता लिखना !!!
हमारी आदत नहीं,
मजबूरी नहीं,
शौक नहीं,
ये एक हसीन मोहब्बत है .
और ये बताना सही रहेगा की 
कविता किसी  नारी का नाम नहीं है .
और सची मोहब्बत है ..

कलम तो किसी कोयल की गीत की तरह ,
अपने आप लिखती चली  जाती है ,
कागज़ तो अम्बर की तरह ,
कोयल को पनाह दिए जातें हैं .

कवी का प्यार सो ज़रूर जाता है ,
कम होता नहीं है ,
थमता नहीं है,
और  कभी मरता नहीं है.

और हर कविता के लिखते ही,
खिलते ही,
झलकते ही,
इश्क कागज़ के रंग की तरह
घेरा होता चला जाता है ...






BADALNE MAT DENA

तस्वीरे बदलती नहीं , इंसान बदल जाते हैं ;
मुकाम बदल जाते हैं
कारवाह बदल जातें हैं 
और ये वक़्त बदल जाता है .

नदी जैसे बहेती चली जाती है,
दुनिया मैं लोग वाह वाह करते चले जाते हैं
जिसकी की वाह वाह होती है ,वो इंसान बदल जाता है,
फिर किसी तस्वीर मैं वो पाया जाता है.

वक़्त के साथ बदलता मौसम जब भा जाता है ,
इंसान सारे गिले शिकवे भी खा जाता है,
ऐ दोस्त तुझसे बस इतनी धर्कवास्त है ,
खुद बल्दे तो हमे भी बदल देना अपने साथ,
बस इस दोस्ती को कायम रखना , बदलने मत देना .

When you lost it ?


The Time , was never adequate ,
but some how it was my mate .
Every night , I slept late;
for the next day,a passionate wait.

The hour hand of the clock,
ran like the minute hand,
fast ,tick tock tick tock,
the minute was a twin of the second.

And in a split of a second ,
i lost it,
my mate ,
me myself as passionate,
for nothing , it was to wait.

It taught me a lesson,
with ample amount of time,
one does nothing, desires nothing,
except writes and posts his poems as something.


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