Thursday, March 3, 2011

BADALNE MAT DENA

तस्वीरे बदलती नहीं , इंसान बदल जाते हैं ;
मुकाम बदल जाते हैं
कारवाह बदल जातें हैं 
और ये वक़्त बदल जाता है .

नदी जैसे बहेती चली जाती है,
दुनिया मैं लोग वाह वाह करते चले जाते हैं
जिसकी की वाह वाह होती है ,वो इंसान बदल जाता है,
फिर किसी तस्वीर मैं वो पाया जाता है.

वक़्त के साथ बदलता मौसम जब भा जाता है ,
इंसान सारे गिले शिकवे भी खा जाता है,
ऐ दोस्त तुझसे बस इतनी धर्कवास्त है ,
खुद बल्दे तो हमे भी बदल देना अपने साथ,
बस इस दोस्ती को कायम रखना , बदलने मत देना .

4 comments:

  1. तस्वीरे बदलती नहीं , इंसान बदल जाते हैं ;
    मुकाम बदल जाते हैं
    कारवाह बदल जातें हैं
    और ये वक़्त बदल जाता है .

    नदी जैसे बहेती चली जाती है,
    दुनिया मैं लोग वाह वाह करते चले जाते हैं
    जिसकी की वाह वाह होती है ,वो इंसान बदल जाता है,
    फिर किसी तस्वीर मैं वो पाया जाता है


    infinite loop ho gya ye to :D
    Nice thought anyway!!
    mai badlunga ya nahi... pata nahi!!
    par tuje yaad rakhung don't ya worry :D

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  2. for me , ur best poem up till now...

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  3. @gvsparx
    akhir duniya gol hai
    whats goes around comes around :)

    @pawan
    best to abhi likhi hi nahi

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  4. nahi flat hai!!
    gol hoti to hum fisal nahi jaate?

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